सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग को लेकर और जाने कहां कहां लगी आग

सरकार के द्वारा कहा कि अब तक जंगलों में आग की 398 घटनाएं रजिस्टर की गई हैं। जिसमें 350 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें 62 लोगों को नामांकित किया गया है। अज्ञात लोगों की संख्या 298 है जिसकी पहचान करने की कोशिश जारी है। कुछ लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया जा चूका है। अप्रैल के पहले सप्ताह में उत्तराखंड के कुछ जंगलों में आग लगी हुई है। उत्तराखंड के 11 जिले आग की चपेट में आ गया हैं। आग की चपेट में आये जिल हैं गढ़वाल मंडल के पौड़ी रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी और टिहरी। बता दे की देहरादून के कुछ इलाके भी आग की चपेट में हैं। जैसे में कुमाऊं मंडल का नैनीताल, बागेश्वर,चंपावत, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ ऐसे जिले हैं, जहां आग से अधिक नुकसान हुए हैं। उत्तराखंड के जंगलों में आग को रोकने के मुद्दे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम बारिश या क्लाउड सीडिंग के भरोसे बैठे नहीं रह सकते है। सरकार को कारगर रूप से कुछ उपाय करना होगा। जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस बीआर गवई की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने आग लगने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए इन पर शीघ्र लगाम लगाने के लिए सरकार को आदेश देने की गुहार लगाई है। वकील ने बोले की दो साल पहले भी एनजीटी में याचिका लगाई थी। सरकार ने अब तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी इसलिए मुझे यहां आना पड़ा ये मामला अखिल भारतीय है। उत्तराखंड इससे बहुत पीड़ित है। सरकार की ओर से दावाग्नि की घटनाओं और उसे काबू करने के उपायों की विस्तार बताई। याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार इतने आराम से ब्योरा दे रही है। हालात उससे अधिक गंभीर हैं । जंगल में रहने वाले जानवर, पशु – पक्षी और वनस्पति के साथ आसपास रहने वाले निवासियों के अस्तित्व को भी भीषण खतरा है। क्या हम इसमें सीईसी यानी सेंट्रल एंपावर्ड कमिटी को भी शामिल कर सकते हैं? जस्टिस गवई ने कहा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी क्या कहा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोषियों पर निर्देश दिये हैं सख्त कार्रवाई की जाए । आग लगने की घटना को लेकर पुलिस भी मुस्तैद हो गयी है। अब तक आग लगाने के मामलों में 383 केस दर्ज किए गये हैं। इसमें 315 अज्ञात लोगों के खिलाफ, जबकि 59 मामले नामजद लोगों को आरोपी बनाया गया है। प्रभावित इलाकों में कूडे और पेराली में आग लगाने पर रोक लगा दिया गया है।

छह महीने में कितना नुकसान?
उत्तराखंड में नवंबर से लेकर अब तक करीब 910 के आस पास आग लगने की घटनाएं हो चुकीं है। इस बार का मामला ज्यादा गंभीर है पिछले साल से लगी आग बुझने का नाम ही नहीं ले रही है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले छह महीनों में वाइल्डफायर की वजह से 1,145 हेक्टेयर जंगल खाक हो चुका है अब शहर पर भी असर डाल रही है आग के कारण धुएं से दिखाई देना कम हो चुका। आग बुझने की तमाम कोशिशें हो रही हैं। यहां तक कि एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर भी अलग तकनीक से आग बुझाने में लगी हैं.

63 प्रतिशत की कमी आग की घटनाओं में
उत्तराखंड के वन विभाग ने दावा है कि पिछले 24 घंटों में जंगल में आग की घटनाओं में 63 प्रतिशत की कमी आ चुकी है। वन विभाग के द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले 24 घंटों में जंगल में आग की घटनाओं में 63 प्रतिशत की कमी आ चुकी है। विज्ञप्ति केअनुसार 6 मई को जंगल में आग की घटनाएं 125 आयीं जबकि 7 मई को यह कम होकर 46 प्रतिशत रह गयीं।

 

 

 

 

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