भुजंग आसन कैसे करे और किसे नहीं करना चाहिए ?

व्यायाम ( योग ) हर व्यक्ति को करना चाहिए योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है। मन प्रसन्न होता है । शरीर में हमेशा चुस्ती -फुर्ती बानी रहती है, पढ़ने में मन लगता है, थकावट महसूस नहीं होती ,शरीर निरोग रहता है ,भोजन ठीक से पच पाता है और रत को अच्छी नींद भी आती है।हमें योग ( व्यायाम ) नित्य करना चाहिए और उतना ही करना चाहिए ,जितना शरीर सरलता से सहन कर ले। इस बात का ध्यान रखना चाहिए की मन ऊबे नहीं ,तन थके नहीं और बेचैनी न हो।
भुजंग आसन विधि :- हथेलियाँ एक फुट की दूरी पर समानांतर स्थिति में जमीन पर रखें। कुहनियाँ थोड़ी में छाती से सटी हुई उठी रहनी चाहिए। एड़ी-पंजो को आपस में जोड़ें। साँस लेने के साथ गर्दन आगे खींचते हुए ऊपर उठाएं। हांथो और कंधो के बिच त्रिकोण बना रहना चाहिए। कोशिश करे की नाभि का निचला हिस्सा जमीन पर चिपका रहे। पैर को अधिकतम फैलाकर रखें। 1 छाती के बल लेटें, 2 लेटने के बाद हाथों को एक फुट की दूरी पर कंधों के बराबर समानांतर रखें कुहनियाँ थोड़ी हवा में छाती से सटी हुई उठी रहे एड़ी-पंजो आपस में जुड़े रहे और निचे की ओर खीचें रहें। 3 दोनों हांथो के बिच में थोड़ा अंतर रहना चाहिए साँस खींचते हुए सर को आगे खींचकर अधिकतम ऊपर उठाएं। नक् मुँह बंद की अवस्था में अधिकतम रुकने की कोशिश करनी चाहिए अथवा एक मिनट तक रुकने की कोशिश करें।
भुजंग आसन के लाभ :- इस योग से साँस के रोगों को लाभदायक है। पाचन शक्ति को बढ़ाता है। कब्ज की परेशानी को दूर करता है। रीढ़ को लचीला बनाता है,चर्बी है ओर सीना चौड़ा करता है। भुजंग आसन से घेघां रोग को बहुत ही फायदा होता है। चेहरे पर रौनक आती है और सुंदरता बढ़ती है।
भुजंग आसन किन रोगी को नहीं करना चाहिए :- भुजंग आसन को टीo बीo,पेप्टिक अल्सर जैसे घातक रोगी को यह आसन नहीं करना चाहिए इससे नुकसान हो सकता है।

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