छठ पूजा कब है :- छठ पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को चतुर्थी तिथि से शुरू हो जाती है। छठ का महापर्व चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होती है। पंचमी को खरना और षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य यानि जल अर्पित कर व्रत सम्पन किया जाता है। इस दिन सूर्य देव और छथि माया की पूजा की जाती है।
छठ पूजा कैलेंडर 2023 :-17 नवम्बर 2023 शुक्रवार -नहाय खाय
18 नवम्बर 2023 शनिवार – लोहंडा या खरना
19 नवम्बर 2023 रविवार – संध्या अर्घ्य
20 नवम्बर 2023 सोमवार – उगते सूरज को अर्घ्य और पारण
छठ पूजा नहाय खाय :- सभी नहाय खाय के दिन सुबह सभी महिलाएं जल्दी उठकर घर की साफ सफाई करके नहा धोकर भोजन बनाती
है, नहाय खाय के दिन पवित्र नदियां या गंगा जी में स्नान करती हैं । इस दिन भोजन में चावल , चना का दाल और लौकी यानि कद्दू की सब्जी का बहुत महत्त्व है,इस दिन भोजन लहसुन प्याज के बिना बनता है। नहाय खाय में लौकी की सब्जी जरूर बनती है। यह मान्यता है की हिन्दू धर्म में लौकी को बहुत पवित्र माना जाता है ,इसके अलावा खाने में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है। भोजन बनने पर पहले वर्ती
भोजन करती है बाद में अन्य सदस्य भोजन करते है। इसके अलावा इस दिन छठ में चढ़ने वाला खास प्रसाद जिसे ठेकुआ कहते है ,उसके अनाज यानि गेहूँ को धो कर सुखाया जाता है साथ में अरवा चावल को भी धो कर सुखाया जाता है ,सुखाने वक्त ध्यान रखा जाता है की कोई पक्षी जूठा न करे।
खरना क्या है :- छठपूजा में खरना का बहुत महत्व होती है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना मनाया जाता है ,खरना को
लोहंडा भी कहा जाता है। खरना के दिन सुबह व्रती स्नान ध्यान करके वर्ती पुरे दिन उपवास करती है। शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर
बनायीं जाती है जिसे रसिया भी कहा जाता है और आटे का रोटी या सुहारी भी कहते हैं । इस प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से बनाया जाता है। हालांकि शहरी इलाकों में कुछ लोग नए गैस चूल्हे पर बनाती हैं ,पर चूल्हा नया हो और अशुद्ध न हो इसका खास ध्यान रखा जाता है। खरना का प्रसाद बनने के बाद पूजा करके व्रती प्रसाद ग्रहण करती है। प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है , पूजा करने के बाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के दौरान घर के सभी लोगो को शांत रहना होता है। मान्यता है ,की सोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देती है। पूजा का प्रसाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद घर के अन्य सदस्य को प्रसाद बाटा जाता है। कई जगहों पर प्रसाद दूसरे दिन बाटा जाता है।
छठ पूजा का प्रसाद :- ठेकुआ छठ पूजा में विशेष कर बनाया जाता है ,यह आटे ,घी ,गुड़ से तैयार किया जाता है। चावल के आटा का लड्डू छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में बनाया जाता है ,केला ,पानी वाला नारियल ,पानी फल ,डाभ, निम्बू ,गन्ना,हल्दी ,अदरक का हरा पौधा ,
अक्षत, पीला सिंदूर, दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल,फल , हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद, पत्ते वाली मूली ,शकरकंदी और सुथनी ,बांस की टोकरिया ,बांस का सुप या पीतल का सुप दोनों का इस्तेमाल हो सकता है।
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