लाल किला का इतिहास और जाने खुलने और बंद होने का समय सरणी

दिल्ली का लाल किला:- लाल किला दिल्ली के ऐतिहासिक 123 क़िलेबंद में से एक है जो पुरानी दिल्ली के इलाके में स्थित है। जो की लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है। किले को “लाल किला” इसकी दीवारों के लाल-लाल रंग के कारण भी कहते है। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष 2007 में युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया । भारत की राजधानी दिल्ली में बने लाल किला देश की आन-बान शान और देश की आजादी का प्रतीक भी है। जो मुगल काल में बना यह ऐतिहासिक स्मारक विश्व धरोहर की लिस्ट में भी शामिल है और भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में एक है। लाल किला के सौंदर्य, आर्कषण और भव्यता को देखने दुनिया के कोने-कोने से यानि देश – विदेश से आते हैं और इसकी शाही बनावट तथा अनूठी वास्तुकला की प्रशंसा भी करते हैं। यह लाल किला मुगल बादशाहों का सिर्फ राजनीतिक केन्द्र ही नहीं था बल्कि यह औपचारिक केन्द्र भी हुआ करता था, जिस पर करीब 200 सालों तक मुगल वंश के शासकों का शासन रहा है । देश की जंग-ए-आजादी का गवाह भी रहा लाल किला मुगलकालीन सृजनात्मकता , वास्तुकला और सौंदर्य का अनूठा उदाहरण है। लाल किले की दीवारों की चौड़ाई लगभग 2.4 किलोमीटर और इसकी ऊंचाई 18 मीटर से 33 मीटर तक है.जिसमे 2.5 किलोमीटर लंबा और 18 मीटर चौड़ा इलाका हैइसे “चोटीदार” कहते हैं।

लालकिला का इतिहास :- लालकिला को 17 वीं शताब्दी में शाहजहाँ के महल के रूप में बनाया गया था और इसे तब बनाया गया था जब उन्होंने इसे राजधानी शहर के रूप में इस्तेमाल किया । लाल किले में कई मंडप हैं जो मुगल सम्राट की रचनात्मकता को भी दर्शाता है। लाल किला को वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने डिजाइन किया था। लाल किले को यमुना नदी के किनारे बनाया गया है। लाल किले को बनाने में 10 साल का समय लगा था। लालकिला शरू से ही सम्राटों और राजाओ का निवास स्थान रहा है विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल दुनिया के सर्वश्रेष्ठ लाल किले का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां के द्धारा 1638 ईसवी में करवाई गई थी। भारत के इस भव्य लाल किले का निर्माण का काम 1648 ईसवी चला। शाहजहां ने लाल किले को बेहद आर्कषक और सुंदर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने 1638 ईसवी में राजधानी आगरा को दिल्ली शिफ्ट कर दिया था, फिर इस किले के निर्माण में ध्यान देकर इसे भव्य और आर्कषक रुप दिया गया था। लाल किला को भव्य और आर्कषक बनने की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली को शाहजहांनाबाद भी कहा जाता था तथा शाहजहां के शासनकाल की रचनात्मकता का मिसाल कहा जाता था। मुगल सम्राट शाहजहां के बाद इस लालकिले पर शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने इस किले में मोती-मस्जिद का निर्माण करवाए थे ।

जब लाल किले पर 17 वीं मुगल बादशाह जहंदर शाह का कब्जा हो गया तब करीब 30 साल तक लाल किले बिना शासक का था। फिर लालकिला पर नादिर शाह ने अपना शासन चलाया I नादिर शाह के बाद 18वीं सदी में अंग्रेजों ने लाल किले पर अपना कब्जा जमा लिया था । फिर लाल किले में जमकर लूट-पाट की थी । भारत की आजादी होने के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस पर तिरंगा फहराकर देश के नाम संदेश दिया था। लाल किला के अंदर कई इमारतें देखने को मिलती है जैसे – दीवान-ए-खास, छत्ता चौक, हयात बख्श बाग , दीवान-ए-आम, ड्रम हाउस, मोतिया मस्जिद, बालकनी, स्नानघर, इनडोर नहरे,ज्यामितीय उद्यान, रंग महल तथा शाही हमाम स्‍थापित किए गए हैं। सायंकाल में लाल किले से संबंधित और भारतीय इतिहास की घटनाओं को “लाइट एंड साउंड” के रूप में भी दिखाई जाती है।

लाल किला घूमने का समय और टिकट :- लाल किला सुबह 9 :30 से 4 :30 बजे शाम तक खुले रहती है। लाल किला मंगलवार से रविवार को खुली रहती है और सोमवार को बंद रहती। लाल किला का टिकट भारतीय नागरिकों के लिए 35 रुपए विदेशी नागरिकों के लिए 550 रुपए लगते हैं। लाल किला घूमने में लगभग 2 या 3 घंटे लगते है। लालकिला और संग्राहलय का टिकट भारतीय नागरिकों के लिए 56 रुपए और विदेशी नागरिकों के लिए 870 रुपए लगते है।

 

 

 

 

 

 

 

 

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