भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने भूस्खलन से किस तरह केरल में तबाही आयी थी इसकी सैटेलाइट तस्वीर को जारी क्या है। इन तस्वीरों में आप देख सकते है कि भूस्खलन से पहले का नजारा वायनाड का कितना खूबसूरत , सुंदर और हरा भरा दिख रहा है। इस तस्वीर में पेड़-पौधे भी देख सकते हैं। रिहायसी इलाके भी हैं। भूस्खलन हादसे के बाद बड़े हिस्से में केवल मलबा दिख रहा है। वायनाड पेड़-पौधे और हरयाली गायब हो गई हैं और घर भी मलबे में तब्दील हो गयी हैं। केरल के वायनाड में भारी बारिश हुई थी भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन से बड़ी तबाही आई है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के मुताबिक इस हादसे में लोगों की मौत की संख्या 308 हो चुकी है। और 200 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। लापता होने के कारण मरने वालों की संख्या और भी बढ़ सकती है। उत्तर भारतीय राज्यों में खासकर भूस्खलन की घटनाएं ज्यादा होती हैं। हिमालय पर्वत श्रृंखला के नवीन वलित पर्वतों में बारिश होने पर बलुई वाली जमीन होने के कारण आसानी से ढह जाती है। लेकिन इस बार केरल के वायनाड में ऐसी घटना हुई थी। जिसमें अनगिनत घर तबाह हो गयी और सैकड़ों जान जान चली गयी हैं।केरल भूस्खलन का मुख्य स्क्रैप आकार 86,000 वर्ग मीटर है। मलबे के प्रवाह ने इरुविनपुझा और मुंडक्कई नदी के मार्ग को चौड़ा कर दिया था। जिस वजह से किनारे टूट गए और तेज बहाव ने किनारे बसे गांव और घरों को तबाह कर दिया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की इन तस्वीरों को समझाते हुए ग्राउंड ज़ीरो के एक डीटेल्ड वट तैयार किया है।
सैटेलाइट तस्वीर
सेटेलाइट तस्वीरों से वायनाड लैंड स्लाइड की व्यापक नुकसान का पता चलता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के हैदराबाद में मौजूद नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र की उपग्रहों द्वारा ली गई हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें जारी की हैं। NRSC ने वायनाड जिले के चूरलमाला की 30 जुलाई के भूस्खलन से पहले और बाद की तस्वीरें जारी कर दी हैं। तस्वीरों के मुताबिक लगता है कि भूस्खलन से लगभग 86,000 वर्ग मीटर जमीन खिसक गई थी । 22 मई, 2023 को कार्टोसैट 3 उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीर और 31 जुलाई को भूस्खलन के एक दिन बाद RISAT उपग्रह द्वारा तस्वीरें ली गई थीं।