करवा चौथ कब है :- 1 नवम्बर 2023 बुधवार को करवा चौथ है। हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर मंगलवार को रात 9 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी जो 1 नवम्बर रात 9 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए हिंदू पंचाग के अनुसार उदयतिथि वाले दिन 1 नवम्बर 2023 बुधवार को करवा चौथ मनाया जायेगा। करवा चौथ व्रत महिलायें अपने पति के लम्बी उम्र के लिए रखती है|
चंद्रोदय का समय :- करवा चौथ वाले दिन चंद्रोदय 8 बजकर 26 मिनट होगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहर्त शाम 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
करवा चौथ पूजासामग्री :- चन्दन ,अगरबत्ती ,,शहद ,पुष्प , कच्चा दूध ,शकर ,दही ,घी,मिठाई ,गंगाजल ,कुमकुम ,अक्षत चावल ,सिंदूर ,मेहँदी ,माहवार ,कंघा ,चुनरी ,बिंदी ,चूड़ी ,बिछुआ ,मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन ,दीपक ,रुई कपूर ,गेहूं,हल्दी ,पानी कलोटा ,करवा माँ फोटो ,लकड़ी का आसन,चलनी ,सवैया ,मिसु ,मठिया ,मुरब्बा, फल का उपयोग किया जाता है।
करवा चौथ पूजा विधि :- सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले स्नान कर ले स्नान करने के बाद पूजा घर की साफ सफाई करके देवी देवता की पूजा अर्चना करके सास द्वारा भेजी गयी सरगी का सेवन करले । इसके बाद स्नानादि करने के पछताप संकलप बोलकर करवा चौथ व्रत का प्रारंभ करे।
पुरे दिन निर्जला रहे। करवा चौथ पूजा से पहले नया कपड़ा लहंगा,साड़ी जो है आप के पास पहन ले सोलह सिंगार कर ले हथेली में मेहंदी एक दिन पहले लगा ले ,पूजा के लिए चौकी लगा ले उस पर लाल कपड़ा बिछा ले। उस के बाद थोड़ी गेहूं रख कर करवा चौथ माई का फोटो या कलेण्डर रख कर चुनी चढ़ा दे फिर एक करवा लेंगे करवा के गले में कलावा लपेट देंगे करवा में जल भर देंगे, करवा को ढक देंगे करवा में टिका लगा देंगे, ढकन पे चीनी थोड़ा रख देंगे। उस केऊपर दिया जला कर रख देंगे धुप बाती जला देंगे , फोटो पर टिका लगा देंगे अक्षत अर्पित कर देंगे पुष्प चढ़ा देंग। उसके बाद सुहाग की सामग्री चढादेगे,चार तरह का ऋतू फल ,मिठाई ,और पांच मेवा चढ़ा देंगे ,एक लोटा में जल भरके उसमे थोड़ा दूध मिला कर और थोड़ा चीनी मिलकर चढ़ा देंगे ,एक थाली में नया कपड़ा साड़ी सिंगार का सामान रखेंगे।
कथा सुनने के लिए हथेली पर चावल पुष्प रखने के बाद कथा सुन लेंगे। करवा माँ की पूजा साम के समय की जाती है। फिर रात मैं चंद्रोदय के बाद चाँद की पूजा करेंगे फिर चलनी से चाँद को देखने के बाद पति को देखेंगे पति आपको जल पिलाकर व्रत खुलवाएंगें । पूजा के बाद सास को थाली में रखा हुआ साड़ी सिंगार का सामान और कुछ रूपए एक प्लेट मैं प्रसादी को लेकर सासु माँ को दे देगे और प्रणाम करके बड़ो का आशीर्वाद ले लेगे। बड़ो को भोजन करवा कर खुद भोजन करेंगे |