जाने मधेपुरा जिला का इतिहास और उसके धार्मिक स्थल

मधेपुरा :-मधेपुरा एक जिला है, जो भारत के बिहार राज्य में है। सहरसा जिले के एक अनुमंडल के रूप में रहने के बाद में 9 मई 1981 को उदाकिशुनगंज अनुमंडल को मिलाकर मधेपुरा को जिला का दर्जा दे दिया गया। मधेपुरा जिला के उत्तर में अररिया और सुपौल, दक्षिण में खगड़िया और भागलपुर जिला, पूर्व में पूर्णिया तथा पश्चिम में सहरसा जिले से घिरा हुआ है। वर्तमान में इसके 2 अनुमंडल और 13 प्रखंड हैं। मधेपुरा धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध जिला है। मधेपुरा जिला में सिंहेश्वर स्थान, चंडी स्थान, बाबा बिशु राउत मंदिर,श्रीनगर,वसंतपुर ,रामनगर, बिराटपुर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से हैं। मधेपुरा जिला के रेल कारखाना पूरे भारत में प्रसिद्ध है। मधेपुरा जिला के मुख्य नदी का नाम कोसी नदी है।

मधेपुरा जिला बिहार की राजधानी पटना से महज 280 किलोमीटर की दुरी पर है,देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 1265 किलो मीटर की दुरी पे है। मधेपुरा जिला में 1 लोकसभा, 4 विधानसभा, 1 सदर अस्पताल ,एक इसाई अस्पताल 200 डाकघर, 1 सिविल कोर्ट, 16 पुलिस स्टेशन ,1 नगर परिषद, 1 नगर पालिका, 170 ग्राम पंचायत, 3 शहर और 449 गांव में बटा है। क्षेत्रफल की बात करें तो इस जिले का क्षेत्रफल 1787 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

मधेपुरा जिला की जनसंख्या 1,994,618 इतना है , साक्षर यानि शिक्षित लोग 53.78 प्रतिशत है। मधेपुरा जिला जनसंख्या के हिसाब से बिहार राज्य का सबसे छोटा और क्षेत्रफल के हिसाब से दसवां सबसे छोटा जिला है मधेपुरा। शिक्षा की बात करें तो इस जले में कई कॉलेज और स्कूल स्थित है जिसके माध्यम से मधेपुरा जिला की आवासी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते है मधेपुरा जिला में भूपेंद्र नारायण यूनिवर्सिटी, ठाकुर प्रसाद कॉलेज, टीपी कॉलेज, साइंस कॉलेज, कॉमर्स कॉलेज, मधेपुरा कॉलेज और आरपीएम कॉलेज इस जिले के लिए एक खास केंद्र बना हुआ है।

मधेपुरा का इतिहास  :-मधेपुरा जिला बिहार के मिथिला क्षेत्र के कोसी-सीमांचल उपक्षेत्र का हिस्सा है इसलिए यहां के लोग मैथिली भाषा बोलते हैं । ब्रिटिश राज में , मधेपुरा जिले पर मुरहो एस्टेट के यादव जमींदारों का प्रभुत्व था , जो जिले के सबसे बड़े जमींदार हुआ करते थे ।ऐसा कहा जाता है कि पौराणिक काल में कोशी नदी के तट पर ऋषया श्रृंग का आश्रम था।

ऋषया श्रृंग भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे और वह आश्रम में भगवान शिव की प्रतिदिन उपासना किया करते थे । श्रृंग ऋषि के आश्रम स्थल को ही श्रृंगेश्‍वर के नाम से जाना जाता था। कुछ समय बाद इस  स्थान का नाम बदलकर सिंघेश्‍वर रखा गया  । मौर्य वंश का भी यहां शासन था । इसका प्रमाण उदा-किशनगंज में स्थित मौर्य स्तम्भ से मिलता है। गुप्त वंश के शासन काल में मधेपुरा मिथिला प्रांत का हिस्सा था ।

मधेपुरा का इतिहास कुषाण वंश के शासनकाल से भी है। शंकरपुर प्रखंड के रायभीर गांव तथा बसंतपुर गांव में रहने वाले भांट समुदाय के लोग कुशान वंश के परवर्ती के हैं।इसके अतिरिक्त, सिकंदर शाह ने भी मधेपुरा जिले का दौरा किया था, जो साहुगढ़ गांव से मिले सिक्कों से स्पष्ट होता है।

एतिहासिक स्थल :-

बिराटपुर :-सोनबरसा रेलवे स्टेशन से 9 किलोमीटर की दूरी पर बिराटपुर गांव है। बिराटपुर गांव देवी चंडिका के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस मंदिर का सम्बन्ध महाभारत काल से है। 11वीं शताब्दी में राजा कुमुन्दानंद के सुझाव से ही इस मंदिर के बाहर पत्थर के स्तम्भ बनवाए गए थे। इन स्तम्भों पर अभिलेख देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही यहां पर दो स्तूप भी है। मंदिर के पश्चिम से आधा किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा टीला भी है।

बसन्तपुर :-मधेपुरा के दक्षिण में 24 किलोमीटर की दूरी पर बसंतपुर गांव स्थित है। यहां पर एक किला है जो कि पूरी तरह से विध्वंस हो चुका है, कहा जाता है यह किला राजा विराट के रहने का स्थान था।

श्रीनगर :– मधेपुरा शहर में २२ किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में श्रीनगर एक गांव है। इस गांव में दो किले हैं। कहा जाता है कि इनसे एक किले का इस्तेमाल राजा श्री देव रहने के लिए किया था। किले के दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर दो विशाल कुंड स्थित है; पहले कुंड को हरसैइर कहते है दूसर कुंड को घोपा पोखर् के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त यहां एक मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में स्थित पत्थरों से बने स्तंभ इसकी खूबसूरती को बढ़ा देती हैं।

मधेपुरा जिला के 13 प्रखंड के नाम :- मधेपुरा, मुरलीगंज, गम्हारिया, सिंहेश्वर, कुमारखंड, शंकरपुर, चौसा, पुरैनी, ग्वालपाड़ा, बिहारीगंज,उदाकिशुनगंज , आलमनगर और , घेलाढ ये सब प्रखंड मधेपुरा जिला में आते हैं।

 

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