
केरल के वायनाड में भारी बारिश ने कहर मचा रखा था । बारिश के चलते भूस्खलन की खबर सामने आई थी जिसमें 100 से ज्यादा लोगों के फंसे होने की आशंका थी । बताया जा रहा था इस हादसे में अब तक 84 लोगों की मौत हो चुकी थी और 70 लोग घायल हुए थे । वायनाड भूस्खलन के बाद अब भूस्खलन का कहर मुंडाक्काई गांव का चौराहा और चूरालमाला गांव तो भूतिया कस्बे में बदल गया हैं। जहां सैलानी घूमने जाते थे। वहां मौत मंजर दिख रहा है। अगर जलवायु न बदलते हम ये आपदा आती नहीं। इस आपदा से इमारतें ढह गई , सड़कों पर, गलियों में भी बड़े बड़े पत्थर और कीचड़ भरा हुआ है। हरी-भरी पहाड़ियों, जिसपर चाय के बागान और खूबसूरत जंगल थे। उन्हीं हरी-भरी पहाड़ियों से भूस्खलन के रूप से मौत लुढ़कती हुई नीचे आई और अपने घरों, होटलों में सो रहे सैलानी को मौत की नींद सुला गई है। चूरालमाला गांव खूबसूरती और झरनों के लिए मशहूर है जैसे- सूचिप्पारा झरना, सीता लेक वेलोलीपारा झरना आदिसे जाना जता था। लेकिन अब चूरालमाला किसी कब्रिस्तान से कम नहीं दिख रहा भूस्खलन के बाद। भूस्खलन से इस समय मुंडाक्काई और चूरालमाला गांव पूरी तरह खत्म हो गयी हैं। जिस तरह केदारनाथ में रामबाड़ा पूरी तरह से ख़त्म हो गया था। जगहों जगहों पर कीचड़ और चटान के बीच कारें और अन्य गाड़िया फंसी नजर आ रही हैं। वह के लोग पागलों की तरह अपने परिवार और रिस्तेदार को खोजने के लिए मलबे हटा रहे हैं। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ,सेना समेत कई स्थानीय एजेंसियों के बचावकर्मी सरे मिलकर लोगों को खोजने और राहतकार्य में लगे हुए हैं। तीन लोगों की फोटो नजर आ रही है, कीचड़ के बीच उनके घर में कोई नहीं मिला है उस घर में तबाही पीछे की दीवार तोड़कर आई थी.मुंडाक्काई गांव के एक बुजुर्ग ने कहा कि हमने सबकुछ और परिवार को खो दिया है. यहां पर अब कुछ भी नहीं बचा है वह बुजुर्ग रो रो कर बोले मेरा तो पूरा परिवार लापता है ,ढूंढ रहा हूं, कोई कहीं नहीं मिल रहा है .कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि हम अभी जिस जमीन पर चल रहे हैं, उसके नीचे हमारे ही लोग दबे हुए है। मुंडाक्काई में तो कुछ बचा ही नहीं सिर्फ कीचड़ और चट्टाने पड़े हुए हैं।भूस्खलन से पहले मुंडाक्काई गांव में करीब 450-500 मकान बने थे।मुंडाक्काई अब सिर्फ 34 से 49 घर ही बचे हुए हैं। तेज बारिश की वजह से भयानक तबाही आयी जिस कारन मुंडाक्काई ,चूरालमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांव तबाह हो गयी सैकड़ों लोग मारे गए कुछ लोग घायल हो गए कुछ का पता भी नहीं चल रहा है। अनुमान लगया जा रहा है अब तक 158 लोग मारे जा चुके हैं और 186 से ज्यादा लोग जख्मी हैं। कहा जा रहा है मलबे के नीचे सैकड़ों लोग दबे मिल सकते हैं। उत्तरी केरल का पहाड़ी वाला जिला वायनाड है। वायनाड में जंगल हैं, तीखे ढलान वाली पहाड़ियों और पठार हैं,चमकते हुए झरने है।लगातार बढ़ती गर्मी अरब सागर की, उसके ऊपर जमा बादलों का झुंड होने के कारण से केरल में तबाही आ गयी।मौसम विभाग 30 जुलाई से 2 अगस्त तक केरल के कई इलाकों में तेज 30 से से 31 जुलाई को तेज और बहुत तेज बारिश होगी तड़ित आ सकता है इसमें वायनाड भी शामिल है।