भाद्रपद मास के तृतीया तिथि की शुरवात हिंदू पंचांग के अनुसार 5 सितम्बर 12 बजकर 21 मिनट से 6 सितम्बर को 3 बजकर 1 मिनट पर समापत हो जाएगी उदय तिथि के मुताबिक इस वर्ष हरतालिका तीज 6 सितम्बर को मनाई जाएगी जो की दिन शुक्रवार को पड़ता है। शुक्रवार को व्रत रखा जायेगा और दिन गुरुवार को यानि 5 सितम्बर को नाहा खाय है। हिन्दू धर्म में तीज का त्यौहार बहुत ही धूम धाम से मनाते है। हरतालिका तीज आज से दो दिन बाद शुक्रवार को है।हरतालिका तीज को सुहागिनों के लिए खास होता है। इस व्रत सुहागिन महिला और कुंवारी लड़किया भी रखती है। इस व्रत को सुहागिन महिला अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखती है। कुंवारी लड़किया रखती है तो मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। हरतालिका तीज का व्रत निर्जला उपवास करती है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा पुरे विधि विधान से करती है। हरतालिका तीज को उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश , बिहार और झारखण्ड में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।
हरतालिका तीज का महत्त्व : हरतालिका तीज का महत्त्व है की इस व्रत को रखने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हरतालिका तीज कठोर व्रत में से एक है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है। कथाओ के अनुसार इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए राखी थी। कठोर तपस्या के बाद ही माता पार्वती को शिव पति के रूप में मिले थे और तब से महिलाये और लड़कियां इस व्रत को रखने लगी है। यह व्रत हर साल भाद्रपद मास तृतीया तिथि को रखा जाता है।
पूजा सामग्री :- कलश , नारयल, पान का पता,कपूर ,धतूरा ,घी ,शहद ,गंगाजल ,सुपारी ,अक्षत का चावल ,सिंदूर चंदन ,कलावा ,जनेऊ ,धुप ,दीप ,बेलपत्र ,कपूर दूर्वा ,पांच तरह का फल ,सिंगार का सामान। सिंगार का सामान में चूड़ी ,सिंदूर ,महेंदी ,महावर ,बिंदी, कंघी,सीसा यानि छोटा आईना ,काजल आदि।