अहोई आठें अष्टमी व्रत को हिंदू धर्म में बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन महिलाएं कठोर उपवास रखती हैं और माता अहोई की विधिवत पूजा करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से संतान की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अहोई आठें अष्टमी व्रत उन दंपतियों को जरूर रखना चाहिए, जिन्हें संतान से जुड़ी विभिन्न मुश्किलों का सामन करना पड़ रहा है। इस व्रत के प्रभाव से संतान संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। अहोई आठें अष्टमी व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के अष्टमी को मनाया जाता है। इस वर्ष अहोई आठें अष्टमी व्रत 24 ओक्टुबर 2024 को मनाया जायेगा। अहोई आठें अष्टमी पूजा की शुभ मुहर्त 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक है। इस दिन तारों का दर्शन 6 बजकर 6 मिनट पर कर सकते है। अहोई आठें अष्टमी व्रत करवा चौथ के बाद आता है। करवा चौथ 20 अक्टूबर को मनाया जायेगा जोकी अहोई आठें अष्टमी से चार दिन पहले मनाया जायेगा।
अहोई आठें अष्टमी व्रत पूजा विधि :- यह व्रत कार्तिक लगते ही अष्टमी को किया जाता है। इस व्रत को महिलाये रखती है जिनके संतान होती है।
इस व्रत को बच्चो की माँ दिन भर रखती है।,सायंकाल दीवार अष्ट कोस्टक की अहोई की पुतली रंग कर बनाये या छपी हुई अहोई अष्टमी की चित्र को दीवाल पर लगाकर उसका पूजन कर सूर्यास्त के बाद अर्थात तारे निकलने पर अहोई माता की पूजा करने से पहले पवित्र कर चौंक पूजकर एक लोटा जल भरकर एक पटले पर कलश की भांति रखकर पूजा करे। अहोई माता का पूजा करके माताएं कहानी सुने। अहोई माता की पूजा के लिए महलाये पहले से एक चाँदी की अहोई जिसे स्याऊ कहते है और उसमें चाँदी के दाने या मोती डलवाये जिस प्रकार गले में पहनने के हर का पेंडिल लगा होता है उसी के अनुसार अहोई की ढलवा ले और डोरे से चाँदी डलवा कर अहोई माता की रोली ,चावल ,दूध और भात से पूजा करे। जल से भरे लोटे पर सतिया बना ले एक कटोरी में हलवा तथा रूपये का बायना निकलकर रख ले और 7 दाने गेहूं का लेकर कहानी सुने । जो बायना निकला है उसे सासुजी के पावं लगा लगाकर आदरपूर्वक उन्हें दे दीजिए। इसके बाद चन्द्रमा को अर्ध्य देकर पीहर भोजनकारले। दीवाली के बाद किसी शुभ दिन अहोई को गले से उतर कर गुड़ से भोग लगाए और जल के छींटे डालकर मस्तक झुककर रख दे। अगर बेटे का विवाह हो गया उतनी बार चाँदी के 2-2 दाने अहोई में डालती रहे। ऐसा करने से अहोई माता प्रसन्न होती है बच्चो को दीर्घयु करती है घर में नित मंगल करती है। अहोई आठे के दिन पेठा दान करने से फल की प्राप्ति होती है।
अहोई का उजमन :-जिस महिला को बेटा हुआ हो अथवा बेटे का विवाह हुआ हो तो उसे अहोई माता का उजमन करना चाहिए। उजमन इस प्रकार करे -एक थाली में सात जगह 4 या 2 पुड़िया रखकर उनपर थोड़ा थोड़ा हलुआ रखे। इसके साथ ही एक साड़ी बिलाउज उस पर समर्थ अनुसार रूपये रखकर थाली के चारो और हाँथ फेरकर सारधा पूर्वक सासु माँ के के पावं लगाकर वह सारा सामान सासुमा को देदे .